galib shayari,Heart touching Shayari in Hindi
सवाल करते हो दुख देकर सवाल करते हो तुम भी वाली कमाल करते हो पूछ पूछ लिया हाल मेरा देख कर पूछ लिया हाल मेरा चलो कुछ तो मेरा ख्याल करते हो
शहरी दिल में यह उदासियां कैसी चेहरे दिल में जी उदासियां कैसी यह भी मुझसे सवाल करते हो े तो म मैं ने हीं तो मर नहीं सकते मर ना चाहे तो मर नहीं सकते तुम भी जीना मुहाल करते किस की मिसाल दूं तुमको अब किस किस की मिसाल दूं तुमको हर सितम करते हो,galib shayari,
अच्छा कालीफा नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं काम होता है शाम क्यों नजरों में पूछ उन परिंदों से हसीन का है जिनका घर नहीं होते
में ी मुट्ठी में लिए कब की कब्र की सोचता हूं गाली खाली इंसान जो मरते हैं तो उनका गुरुर कहां जाता चेहरे पर आती है रौनक और वह समझते हैं,galib shayari,
आपका स्वागत है जन्नत की हकीकत लेकिन हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा गालिब निकम्मा कर दिया इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के ग़ालिब यही भूल करता रहा उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता
पर कौन ना मर जाए ए खुदा इस सादगी पर कौन ना मर जाए ए खुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले
galib shayari,Heart touching Shayari in Hindi

से जो आ जाती है मुंह पर रौनक उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक वह समझते हैं कि बीमार का हाल हुआ क्या है क्या है दिल ए नादां तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा उम्मीद पर लोग कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर,galib shayari,
अपना सा मुंह लेकर रह गए आईना देख अपना सा मुंह लेकर रह गए साहब को दिल न देने पर कितना गुरूर जोर नहीं आता इश्क पर जोर नहीं है यह वो आतिश ग़ालिब जो लगाए न लगे और बुझाए तुम आ फिर से उठा देते हैं जिंदगी में तो महफिल से उठा देते मर गए पर कौन उठाता है बुरा ना मान मानो ऐसा भी कोई अच्छा कहीं अच्छा
ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले रहेगा उसकी गर्दन पर निकले कूचे से हम निकले पर तो हम कहां पर जो हम निकले कोई उसको खत तो हमसे लिखवाए सुबह से काम कर सुबह से
देखेगी अपनों के हाथों में यह इस संग दिलों की दुनिया है चलना पलकों पर बिठाते हैं गिराने के लिए थी,galib shayari,
आशियाने की आंधियां जमाने की कोई समझ ना पाया आदत थी मुस्कुराने की इंसान घर बदलता है लिबास बदलता है रिश्ते बदलता है दोस्त बदलता है फिर भी परेशान क्यों रहता है क्योंकि वह खुद को नहीं बताता का ने ग़ालिब यही भूल करता रहा पर थी पर थी और आईना साफ रहा रहा
Mirza Ghalib shayari Dil ki

बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम रखो तो सब साथ हैं गालिब वरना आंसुओं को तो आंखों में भी बना नहीं मिलती जन्मदिन की दुनिया है गालिब यहां पलकों पर बिठाया जाता है नजरों से गिराने की है,galib shayari,
इसकी मौत पर जमाना अफसोस करें जो तो गाली गालिब हर शक्स दुनिया में आता है मरने के लिए की खुशियां बनाए रखें
दुश्मन भले ही आगे निकल जाए कोई खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर हमारी बेचैनियों की वजह तुम हो,galib shayari,
हैं समझो तो खामोशी भी कहती है मैं ऐसे खामोश हूं और वह बरसों से बेखबर बात है बात है मोहब्बत में वरना एक लाश के लिए ताजमहल नहीं बनता है पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को ग़ालिब याद वही आते हैं जो उड़ जाते फ रहने का अंधा ज़
तुम्हें तनहा ना करते खाली फुर्सत नहीं से नहीं मोहताज होते है तुम कहीं और के मुसाफिर हो हमारा शहर तो बस रास्ते में आया था,galib shayari,
जताया नहीं करते वह अक्सर गुस्से में रोजा करते हैं बेहद ख्याल रखा करो तुम अपना मेरी आम सी जिंदगी में बहुत खास हो तुम
रात को मत आया करो मेरे सपनों में नींद खुलते ही हैं उससे नफरत हो जाती है कुछ लोग तो यूं चले गए जिंदगी था ही नहीं जिंदगी तो म को तुमको मस्जिद में देखकर ग़ालिब ऐसा भी क्या हुआ कि बार बार मोहब्बत करनी है तुमसे लेकिन इस बार हम