ghalib shayari|मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी हिंदी में vest new
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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है वह बड़ा रहीमो करीब है मुझे यह सिफत भी आता करे तुझे भूलने की दुआ करूं तो मेरी दुआ में असर ना हो हजार
मरकरी लाख आंधियां उठे वह फूल खिल के रहेंगे जो खेलने वाले हैं
यह क्या उठाए कदम और आ गई मंजिल मजा तो जब है कि पैरों में कुछ थकान रहे

खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है अजब नहीं कि तुझे भी पसंद आए यह कॉल झुके ना दिल तो इबादत हराम है साकी
आशिकी से मिलेगा ऐ साहिब बंदगी से खुदा नहीं मिलता घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए जिंदगी क्या किसी मुखलिस के कबा है जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं कैसे कहें कि तुझको भी हमसे है वास्ता कोई तूने तो हमसे आज तक कोई गिला नहीं किया वो जो हम में तुम में करार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही यानी वादा निभा का
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ghalib shayari_Classic Urdu Shayari
यह इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है याद उसकी इतनी खूब नहीं मिल बाजा नादा फिर वही से बुलाया ना जाएगा भक्ति रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए वह तेरे सूखे लोगों का थरथराना याद है हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले उम्र दराज मांग कर लाए थे 4 दिन
दो #आरजू में कट #गए दो इंतजार में
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Best shayari in hindi 2020_ Mirza galib best shayari in hindi
यह चंद दिन की दुनिया है गालिब यहां पलकों पर बिठाया जाता है नजरों से गिराने के लिए जिंदगी उसी की है जिसकी मौत पर जमाना अफसोस है यूं तो वाले
व्हाट्सएप प्रिया में आता है मरने के लिए रफ्तार जिंदगी की कुछ यू बनाए रखें कि दुश्मन भले ही आगे निकल जाए पर दोस्त कोई पिछे ना छूटे हैं
हैरान हूं तुझे मस्जिद में देखकर ग़ालिब ऐसा भी क्या होगा जो खुदा याद आ गया मुस्कान बनाए रखो तो सब साथ है ग़ालिब वरना आंसुओं को तो आंखों में भी मना नहीं मिलती
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले मेहरबा होके बुला लो मुझको चाहो जिस वक़्त मैं गुजरा वक्त नहीं कि फिर आना सकूं
Mirza galib best shayari in hindi
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तमाम उम्र ग़ालिब बस यही करते करते रहे धूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ करते रहे गुजर जाएगा यह दौर भी काले जरा इत्मीनान तो रख जब खुशी ना ठहरी तो गम की क्या औकात है
कुछ इस तरह से मैंने जिंदगी को आसान कर लिया किसी से माफी मांग ली और किसी को माफ कर दिया बेवजह नहीं रोता इश्क में कोई खा ले
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रुलाता जरूर है तू तो वह जालिम है जो दिल में रहकर भी मेरा ना बन सका और दिल को फकीर है जो मुझ में रहकर भी तेरा हो गया
मुझसे कहती है तेरे साथ रहूंगी सदा बहुत प्यार करती है मुझसे उदासी मेरे
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हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है
इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के
उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा
इस सादगी पर कौन ना मर जाए ए खुदा इस सादगी पर कौन ना मर जाए ए खुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार की
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले
उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक वह समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
दिल ई नादान तुझे हुआ क्या है दिल ए नादान तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा क्या है
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग हमको जीने की भी उम्मीद नहीं
आईना देख अपना सा मुंह लेकर रह गए आईना देख अपना सा मुंह लेकर रह गए साहब को दिल न देने पर कितना गुरूर था
इश्क पर जोर नहीं ए वो आतिश ग़ालिब इश्क पर जोर नहीं है यह वो आतिश ग़ालिब की लगाए न लगे और बुझाए
जिंदगी में तो वह मां फिर से उठा देते हैं जिंदगी में तो वह महफ़िल से उठा देते हैं देखो वह मर गए पर कौन उठाता है मुझे
इश्क पर जोर नहीं ए वो आतिश ग़ालिब इश्क पर जोर नहीं है यह वो आतिश ग़ालिब की लगाए न लगे और बुझाए
जिंदगी में तो वह मां फिर से उठा देते हैं जिंदगी में तो वह महफ़िल से उठा देते हैं देखो वह मर गए पर कौन उठाता है मुझे
क्या मिला मुझसे दूर रहकर best hindi shayari 2020 Mirza Ghalib
जो दर्द दिखते नहीं वह दुखती बहुत ही बहुत नजदीक आती जा रही चढ़ने का इरादा कर लिया क्या
बहुत मुस्कुरा रहे हो जनाब लगता है तुम्हारा इश्क नया-नया है नजरअंदाज जी का शौक था उनको हमने भी तोहफे में उन्हीं का शोक दे दिया
अपने एम को थोड़ा सा झुका कर चलिए सब अपने लगेंगे जरा सा मुस्कुरा कर चलिए वक्त का खास होना जरूरी नहीं है खास के लिए वक्त होना जरूरी है रख दो ना हाथ तुम कभी इस दिल पर यूं फासलों से ही मोहब्बत कब तक करें रिश्ते जब मजबूत होते हैं भिन्न का जूस होते हैं
प्यार वह नहीं जो कोई कर रहा है
प्यार वह है जो कोई निभा रहा है कुछ इसलिए भी मैंने उसी चाहने से नहीं रोका क्योंकि जाता ही क्यों अगर मेरा होता सब कुछ मिल जाएगा
तो तमन्ना किसकी करोगे गालिब अधूरी ख्वाहिशें ही तो जीने का मजा देती है क्या मिला मुझसे दूर रहकर
लोग आज भी तुझे मेरी मोहब्बत कहते हैं प्यार कितना भी सच्चा क्यों ना हो
बात जिसमें तक आ ही जाती है कभी तो देख कर चौक कर कोई हमारी तरफ किसी की आंख में हमको भी इंतजार देखें
galib shayari_दिल ही तो है
दिल ही तो है ना संग हीस्ट दर्द से भरना है क्यों रोएंगे हम हजार बार कोई हमें सताए क्यों
हमारा दिल कोई ईट पत्थर नहीं है कि उसे चोट लगे तो दर्द भी ना महसूस हो जब कोई हमें सताता है तो हमारा भी दिल भर आता है इसीलिए हमारा रोना एक आम बात है अगर आप चाहते हैं कि हम रोना बंद कर दें तो आप हमें सताना बंद कर दीजिए
इशरत एक कतरा है दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुजर ना है दवा हो जाना जब तक भूल समुद्र से अलग रहती है तो दुखी रहती है उसके लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या होगी कि वह समुद्र में मिलकर समुद्र हो जाए और अपनी हस्ती खत्म कर डालें
ठीक है ऐसा ही मामला दर्द के साथ होता है जब दर्द अपनी हद से गुजर जाता है तो दर्द का एहसास नहीं रहता बल्कि इंसान उसका आधी हो जाता है और इस तरह दर्द अपनी दवा अपने आप बन जाता है
ghalib shayari,इस लाइन का एक मतलब यह भी हो सकता है
इस लाइन का एक मतलब यह भी हो सकता है कि हद से ज्यादा दर्द इंसान को मार डालता है और इस तरह सारी चिंता ही मिट जाती है मेहरबां होकर बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त मैं गया वक़्त नहीं हूं कि फिर आप ही ना सकूं
अगर तुम मेहरबान होकर मुझे बुलाओगे तो जिस वक्त चाहोगे उस वक्त चला लूंगा
मैं उस गए वक्त की तरह नहीं हूं जो चला जाए तो लौट के नहीं आता
समय के बारे में लोगों की यह आम राय होती है कि जो समय एक बार बीत गया वह वापस नहीं आता मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
मोहब्बत में जीने और मरने में कोई फर्क नहीं होता जिस महबूब पर हम मरते हैं उसी को देख कर जीते हैं
गालिब ने यहां मौत और जिंदगी को एक ही जगह पर रख दिया है बस की दुश्वार है हर काम का आशा होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसान होना
गालिब कहते हैं कि कोई भी काम जो देखने में आसान लगता है वह वास्तव में उतना आसान नहीं होता जिस तरह हर आदमी देखने में तो इंसान ही लगता है लेकिन सच्ची इंसानियत किसी किसी में होती है
मरते हैं आरजू में मरने की मौत आती है पर नहीं आती हम इस कामना में मरे जा रहे हैं कि काश मौत आ जाए क्योंकि हम मरने की इच्छा में मरे जा रहे हैं तो इस तरह मौत आती तो है पर वास्तव में वह नहीं आती
mirza ghalib shayari in hindi,वफा कैसी कहां का इश्क
वफा कैसी कहां का इश्क जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर आए संगदिल तेरा ही संगे आस्था क्यों हो इश्क मोहब्बत वफा सब करके देख लिया लेकिन आप पर इनका कोई असर नहीं हुआ इन सब का यह नतीजा निकला कि जैसे मैं बेकार में ही अपना सर फोड़ रहा हूं अब मैंने यह सोच लिया है कि जब सर फोड़ना ही मेरे मुकद्दर में लिखा है तो आपके दरवाजे के पत्थर पर ही क्यों कहीं और जाकर सर फोड़ लूंगा
जिगर उस परिवार का और फिर बयां अपना
बन गया है कि आखिर था जो रास्ता अपना
एक तो मेरा महबूब ही परिचित ना खूबसूरत है ऊपर से मेरा बयां करने का ढंग ही निराला है दोनों ने मिलकर मेरे दोस्त जिसको मैं अपने दिल की बातें बता रहा था को मेरा विरोधी बना दिया मेरे दोस्त पर ऐसा असर हुआ कि वह मेरी बातें सुनकर खुद मेरे महबूब का दीवाना हो गया इस तरह मेरा दोस्त ही मेरा दुश्मन बन गया
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आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब दिल का क्या रंग करूं खूने जिगर होने तक
कहते हैं कि आशिकी सब्र की मांग करती है क्योंकि आशिकी में कोई भी बात जल्दबाजी में और आसानी से नहीं बनती
और मेरी ख्वाहिशों का यह हाल है कि वह जल्दी से पूरा हो जाना चाहती हैं उनसे जरा सब्र नहीं होता अब मुझे कोई बताए कि इससे पहले मेरा जिगर खून बनकर बह जाए तब तक मैं अपने दिल को कैसे रोकू उसका क्या इलाज करूं
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले
गालिब का शेर बेहद खूबसूरत है और जिंदगी की सच्चाई बयान करता है गालिब कहते हैं कि इंसान के दिल में हजारों ख्वाहिशें होती हैं और एक ख्वाहिश को पूरा करने में जान निकल जाती है कहते हैं कि हमारे अरमान पूरे तो हो जाते हैं लेकिन फिर भी हमें लगता है कि कुछ कमी रह गई है
ग़ालिब यही कहना चाहते हैं कि इंसान मर जाता है लेकिन उसकी इच्छाएं कभी नहीं मरती जो हमें मिल जाता है उससे हम संतुष्ट नहीं होते और जो नहीं मिला उसकी वजह से दुखी रहते हैं
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