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shayari gulzar,Gulzar poetry-शायरी गुलज़ार
साया था आंखों में आया था हमने दो बूंदों से मन भर लिया बार बार तो यूं होगा और थोड़ा सा सुकून होगा एक बार तो यूं होगा और थोड़ा सा सुकून होगा
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आतें हैं वक्त के साथ जाती है युवक वक्त के कोई गैर हो जाता है भर किसी को अपना समझना वही लड़की किसी लड़के को चाह कर भी नहीं भूल पाते इसका सीधा मतलब यह हुआ कि ना कहीं वह लड़का भी अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रहा है साथ सोने से पहले जो जरूर सोच आज तक की साथ क्योंकि में सबसे अच्छी रहने की दो जगह दिल में रहो फिर दुआओं में
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एक ऐसा रिश्ता हुआ इसमें वफा का भला एक ऐसा रिश्ता हुआ इसमें वफा का भला तमाम उम्र में 246 की हाथ टूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक्त के साथ लम्हे नहीं तोड़ा करते
shayari gulzar,Gulzar poetry
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ना दिल में कसक ना सर में जुनून होगा ता पने के सपने के टूट कर चकनाचूर हो जाने के बाद एक सपने के टूट कर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी है
कल का हलवा किया तुम्हारा था कल का हलवा किया तुम्हारा था आज की दास्तां हमारी है अपने साए से चौक जाते हैं हम अपने साए से छूट जाते हैं उम्र गुजारी है इस कदर तन्हा तो तेरे इश्क की छांव में जल जल कर मैं तेरे इश्क की छांव में जल जल कर काला ना पड़ जाऊं कहीं तू मुझे.हुस्न. की धूप. का. एक टुकड़ा एक
shayari gulzar,
तुझसे अब कुछ नहीं मांगता है कर के ले ने की आदत तेरी मंजूर नहीं है हालातों ने खोदी इस चेहरे की मुस्कान जहां भी जाते थे ला दिया करते .थे बेहद..लाचारी का आलम .था उस. वक्त. साहब. जब मालूम हुआ कि.. मैं मुलाकात आखरी है
झुक. जाते हैं जो लोग .आप की. खातिर किसी भी .हद तक वह सिर्फ. आपकी इज्जत ही नहीं ब्बल मोहब्बत भी करते हैं .मर्दानगी. औरत की .इज्जत लूटने. में नहीं बचाने. में है
हमदर्दी ना करो हमसे द्ध बढ़ हमदर्द है हजार खुशियां छीन वो कहते हैं
Gulzar poetry
फिर से लिखने का मन होता. है कभी-कभी अजीब सा सुकून होता है उस नींद में बुरी तरह से रोने के बाद आती है अल्फाज. अक्सर अधूरी ही रह जाते हैं .मोहब्बत में हर. शख्स किसी. ना .किसी. की चाहत .दिल में. दबाए. रखता है
संभल कर.. चलना दान यह इंसानों की बस्ती तो . रब को भी .आजमा लेते हैं
तेरी क्या हस्ती है पहन ले फिर दे उसे उतार हेलमेट सा हो गया है लोगों का किरदार फेर दो इन पन्नों पर ताकि धुल जाए स्याही सारी द गी
फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी अजीब सा सुकून होता है उस नींद में बुरी तरह से रोने के बाद आती है अल्फाज अक्सर अधूरी ही रह जाते.. हैं मोहब्बत में हर .शख्स किसी ना .किसी की चाहत दिल में दबाए रखता है
shayari gulzar,
बादशाह किसी की यादों में बर्बाद हो गए एक फूल खुशबू से आजाद हो गए महकते हुए फूल खुशबू से आजाद हो गए
जब जिंदगी बार बार मौका दे तो गलतियों को दोहराने की गलति कभी मत कीजी जिम्मेदारियों का जहैमुझ है मुझ पर रूठने और टूटने का हक नहीं है
shayari gulzar,
मोहब्बत तो हैमेसा इंक एक तारफा जो टोनो तरफ़ा से हओसे नसीप कहते हे
किसी ने कहा था मोहब्बत फूल जैसी है कदम रुक गए आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा मोहब्बत की आज तक बस दो ही बातें अधूरी रही
शायरी गुलज़ार
मैं तुझे पाना पाया दूसरी तुम समझ ना पाए
इश्क चोट का कुछ दिल पर असर हो तो सही दर्द कम हो या ज्यादा तो हो सही धोखा.देने वाले.को.मैं दुबारा मौका.नहीं देता
shayari gulzar,
अभी.तक मौजूद.है. इस दिल पर तेरे कदमों.के निसान.हमने .तेरे बाद किसी.को इस.राह से गुजरने नहीं दिया कोई नहीं आएगा मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा एक .मौत .ही है जिसका .मैं वादा .नहीं करता
सपने तो बहुत आए तुम सा कोई सपनों में ना आया फिजा में फूल तो बहुत खिले तुम सब भूल ना मुस्कुराया क्या कशिश थी उसकी आखो में
मत पूछो मुझसे मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे यही चाहिए तुम रख ना सकोगे मेरा तोहफा संभालकर वरना मैं अभी दे दूं जिस्म से रूह निकालकर जिस घाव से खून नहीं निकलता समाज लेना वह जख्म किसी अपनों ने ही दिया है