A 1 +shree krishna, -श्री कृष्ण शायरी-Best Collection
सब रास्ते पर चलूं कान्हा मेरा सब रास्ता तेरी ओर रास्ते पर चलूं कान्हा मेरा सदा सदा तेरी ओर जाता है सिर्फ मुझसे रूठ के बोली तुम्हें सब शिकायत मुझसे ही है
सर झुका कर कह दिया मुझे आपसे उम्मीद थी आपसे खुद पर खुद परेशान हूं कान्हा ना मैं खुद परेशान हूं कान्हा
जब भी प्यारा सुनता हूं तब तेरा ही चेहरा याद आता है कान्हा

चमक की चमक को की शान हो तुम आंखों की चमक पलकों की शान हो तुम चेहरे की हंसी लगा मुस्कान हो तुम धड़कता है दिल मेरा तुम्हारी यादों में कान्हा धड़कता है दिल मेरा तुम्हारे ही आरजू में कान्हा फिर कैसे ना कहूं कान्हा मेरी जान हो तुम
श्री कृष्ण
बिन देखे तुमको कान्हा बिन देखे तुमको आज नजर उदास है कहीं तो नजर आ जाओ जय श्री कृष्ण जय मुरलीधर कान्हा
किसी ने क्या खूब कहा है कि दोस्ती में ही ताकत है जनाब सामर्थ को झुकाने की वरना सुदामा में कहां ताकत थी कृष्ण से पेड़ दिलवाने की भगवान श्री कृष्ण की धरती पर जन्म और उनकी तरह महान
shree krishna,
कुछ कुछ कमियां है मुझ में लेकिन मैं इंसान हूं भगवान तो नहीं कृष्ण ने कहा है कि मत रो मेरे दोस्त मैं भी तो अधूरा हूं राम बना तो ना मिली सीता और कृष्ण बना दो ना मिली राधा कहते
shree krishna,
कहते हैं कि मार्ग पर चलकर तो देख तेरे सभी मार्ग ना खोल दूं तो कहना हर किसी को तेरा ना बना दूं तो कहना
shree krishna, -श्री कृष्ण शायरी
अक्सर समाज में आप ही सुनते लोग सकते हैं तो लोगों को अक्सर समाज महा मूर्ख पन और सीधा सधा होना आज मूर्ख होने की निशानी बन गया है जो सरल नहीं होता तो उससे बचकर रहने की सलाह और भोले लोगों को दुनियादारी या
चालाक चतुर बनने की सीख देते बेकार हो ता है क्या मूर्खता भोलेनाथ शंकर नहीं जानते की चतुराई क्या होती है विश्व गुरु शिव समझदार नहीं है अर्थात सब कुछ भूल जाना जो भूलेगा बोलेगा वही बोला होगा और भूलने के लिए मन का निर्मल
जल इन दोनों का होना आवश्यक सर नहीं होगा वह बोला नहीं के मन में हर्बल हर लोग लाभ का गणित चलता रहेगा वह बोला हो ही नहीं सकता भोला केवल वही हो सकता है जो मन का भी बुला रहे
shree krishna,
और सम्मान का भी बुला रहे यानी समाज में मान मिले सम्मान व्यक्ति उसे भुला कर अपना कार्य करता रहे व्यक्ति यह बताता है कि बिना हिसाब-किताब के भी जीवन जिया जा सकता मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति मूर्ख है
श्री कृष्ण
अगर हम महादेव के जीवन को भोलेपन का उदाहरण मानते हैं तो हमें यह बात सीखने को मिलती ह गई चिंता मिटी मनुआ को कछु ना चाहिए न सिंह शंकर इसीलिए तो देवों के देव यानी चाहो कि वो अपने वह अपने किए के बदले किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं रखते
में ऐसे ही लोगों के प्रति दो तरह की भावना होती बोलो लोग वह लोग होते हैं जो भोले लोगों का लाभ उठाते रहते हैं
और दूसरे वो जो भोले लोगों को भगवान बना देते हैं
भगवान कहे जाने से आनंदित हो और ना जाने से व्यथित होली लोगों के लिए ही किसी ने कहा है हैं मां हैं मान की आशा मानकी आशा ना अपमान का ध्यान मन में सदा कामना रखते एक जगत क बा भूल े ना भोले नाथ भोलेनाथ के भोलेपन को मंत्र को एक नया मिलेगा
श्री कृष्ण
संसार में हर स्थान पर यह व्यापार व्यापार व्याप्त होता है कुछ पाने के लिए कुछ देना होता है लाभ पाने के लिए निवेश करना प्यार करना ही होता