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मेरी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे और उसकी आंखें नरम तक नहीं है

 

ऐसे जख्म दिए हैं उसने जिसकी जहां में मरहम तक नहीं है मेरी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे और उसकी आंखें नरम तक नहीं है ऐसे

 

जख्म दिए हैं उसने जिसकी इस जहां में मरहम तक नहीं है उसने विचारक के मेरे लिए आज के अंगारे उसने बिछा रखे हैं मेरे लिए

 

आज के अंगारे जो गर्म तक नहीं है मैं फिर भी उसकी मुश्किलों में जान लुटाने की बात करता हूं मैं फिर भी उसकी मुश्किलों में जान लुटाने की बात करता हूं और उसकी आंखों में शर्म तक नहीं आया

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खता औरों की थी और हमें धोने पड़े सिर्फ शब्दों से ना करना किसी के वजूद की पहचान हर कोई इतना कह नहीं पाता जितना कुछ समझता और महसूस करता है

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हर वक्त खुद से ज्यादा रुलाता है वह हम सपने में भी जिसे रोने नहीं देते कितना भी खुश रहने की कोशिश करो लेकिन सच में जब कोई याद आता है ना तो बहुत रुलाता पहले सुबह बहुत अब आदत सी है यह दर्द पहले था अब इबादत सी है

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किराएदार सी थी तुम्हारी फितरत कभी पूरी तरह से अपना समझा ही नहीं यह जीवन है साहब मिलेंगे नहीं समझेंगे कैसे और भी करेंगे नहीं तो लिखेंगे कैसे

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उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता बचपन तो छीन लिया बचपना छीन कर बता ना कोई शिकवा ना गिला ना मना रहा

 

सितम तेरे भी बेहिसाब रहे सब्र मेरा भी कमाल रहा एक वक्त था जब तेरे ना होने से खालीपन का एहसास था अब आलम यह है कि तेरे होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता मुमकिन नहीं है हर किसी की नजरों में

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बेगुनाह रहना बस खुद से यह वादा करो कि अपनी नजरों में बेदाग रहें यह दुनिया नहीं है मेरे पास तो क्या-क्या मेरा यह भ्रम था कि मेरे पास तुम हो खिलाफ कितने हैं

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यह मुद्दा नहीं साहब कितनी है यह जरूरी है बहुत भीड़ हुआ करती थी महफिल में मेरी फिर मैं सच बोलता

 

गया और लोग उठते का ही इतनी कमजोर ना थी मेरी मोहब्बत याद तो तुझे भी आती होगी बस एक ही सवाल पूछना है खुश तो हो ना तुम बहुत अंदर तक तबाही

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क्या देती है वह क्यों कह नहीं पाते

कभी-कभी माफी मांगने से कोई फायदा नहीं होता जो बात दिल पर लग जाती है वह लग ही जाती है

 

आंखों के इशारे हो गए उन्होंने भी आप को समझने भी दो चार्ज लगा दो मैं बात नहीं करती

Aankhon Hi Aankhon Mein Sare Ho Gaye aankhon par shayari

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आंखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही बाकी है आंखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है नहीं तो नकाब से भी होते हैं इशारे मोहब्बत की जो सुरूर है तेरी आंखों में वह बात कहा

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मैं खाने में बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है जमाने में वह बोलते रहे हम सुनते रहे वह बोलते रहे हम सुनते रहे जवाब आपको में था वह जुबान पर ढूंढते रहे,aankhon par shayari

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आंखों से आंखें मिलाकर तो देखो आंखों से आंखें मिलाकर तो देखो हमारे दिल से दिल लगा कर तो देखो सारे जहां की खुशियां तेरे दामन पर रख देंगे सारे जहां की खुशियां तेरे दामन पर रख देंगे हमारे प्यार पर जरा एक बार तो करके देखो

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इकरार में शब्दों की अहमियत नहीं होती दिल के जज्बात की आवाज नहीं होती आंखें बयान कर देती है दिल की दास्तां आंखें बयान कर देती है दिल की दास्तान मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती

Meri aankhen bhi mujhse sawal karne lagi hai

मेरी आंखें भी मुझसे सवाल करने लगी है क्या है उस शख्स में ऐसा जिसकी वजह से तुम मुझे भूल भी जाते हो जो मेरे घर को आती है करो पीछा क्या कहना चाहती है

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कड़वाहट तो साहब यूं ही बदनाम है दिल तो अक्सर मीठे लोग होते हैं वह बुरे वक्त की तरह बहुत कुछ सिखा कर चला गया बहुत फर्क होता है अकेले रहने में और अकेले रह जाने में हमने सुना था लोग प्यार में जान भी दे देते हैं लेकिन जो वक्त नहीं देता वह जान कहां से देगा इश्क मोहब्बत की सियासत भी अजीब है पाया नहीं जिसको उसे खोना भी नहीं चाहते

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सूरज की आंखों में आंखें डाल कर देखो है औकात तो अपने दम पर घर संभाल के देखो क्या कहते हो मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं करती क्या कहते हो मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं करते 9 महीने तुम इतने बार करके,aankhen shayari 2 line

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