gulzar shayari,zindagi gulzar hai quotes_ज़िन्दगी गुलज़ार है zindagi gulzar shayari
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तुझे बेहतर बनाने की कोशिश में तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहे तुझ को बेहतर बनाने की कोशिश में तुझको ही वक्त नहीं दे पा रहे हम माफ करना है जिंदगी तुझे ही जी नहीं पा रहे हम खुद से ज्यादा संभाल कर रखता हूं मोबाइल अपना क्योंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद है

बचपन में भरी दुपहरी में भी ना पाते में पूरा मोहल्ला जबसे डिग्रियां समझ में आए पांव चलने लगे जो खानदानी रईस है वह रखते हैं मेरे साथ नर्मदा तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत
नहीं रही है वक्त रहता ही नहीं कहीं पिक करो वक्त रहता ही नहीं एक कर्म आदत की भी कुछ इंसान से है लगता है जिंदगी कुछ
खफा है लगता है जिंदगी कुछ खफा चलिए छोड़िए साहेब कौन सी पहली दफा है सिर्फ एक सफा अलग कर ने बीती बा
की दुआएं दी है सिर्फ एक दफा पलट कर उसने बीती बातों की दुहाई दी है फिर लौट कर जाना होगा यार रही है कैसे रिहाई दी है,
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शराब की बोतल से ईमानदारी कोई छोड़ता नहीं कोई छूता तक नहीं मैं सूरज के साथ रह कर भी भुला नहीं अदब लोग जुगनू का साथ अगर मगरूर हो गए
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फुर्सत में करेंगे हिसाब तुझसे ऐ जिंदगी उलझे हुए हैं हम अभी खुद को ही सुलझाने में जिसका भी चेहरा खिला वंदर से कुछ और निकला मासूम सा कबूतर ना चाहो मोर निकला फासलों का
एहसास तब हुआ जब मैंने कहा ठीक हूं और उसने मान लिया मैं वक्त का मुजरिम हूं लेकिन उस वक्त ने कैसा किया जब तक जीते हो चलते रहो जब जल जाओ तो कहना माफ किया
तू कितनी भी खूबसूरत क्यों ना हो जिंदगी खुशमिजाज दोस्तों के बगैर तो अच्छे नहीं लगते बेवजह कोई इल्जाम लग जाए तो क्या कीजिए रियों कीजिए कि वह गुनाह कर दीजिए
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तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर जब वह भी घर कहती है कि अब रोया नहीं चाहता होकर पता चलती है कीमत
किसी के पास अगर हो तो एहसास कहां होता है
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं ही कोई बेवफा नहीं होता रात को कह दो जरा धीरे से गुजरे
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काफी मिलना था के बाद आज दर्द सोया है ख्वाहिशों का काफिला भी बड़ा अजीब सा है अक्सर वही से गुजरता है जहां रास्ता नहीं होता दास्तान सुनाओ और मजाक बन जाऊं बेहतर तो यह है
थोड़ा सा मुस्कुराओ
और खामोश हो जाऊं माना कि मौसम भी बदलते हैं मगर धीरे-धीरे तेरे बदलने की रफ्तार से हवाएं भी हैरान है
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हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से देखा है आज मैंने खुद को
पुरानी तस्वीरों में कड़वाहट को साहब यूं ही बदनाम है दिल तो अक्सर मीठे लोग छोड़ते हैं
सिर्फ सांसे चलते रहने कोई जिंदगी नहीं जाते हैं आंखों में कुछ ख्वाब
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और दिल में उम्मीद होना भी बहुत जरूरी है दूर शब्द तसल्ली के नहीं मिलते शहर में यहां लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं
शिकायत मौत से नहीं अपनो से थे जरा सी आंखें क्या बंद हुई कब्र खोदने लगे एक मैं हूं जो खुद को समझ ना सका आस्था
और 1 लोग हैं
जो मुझे ना जाने यह क्या समझ लेते हैं तुम मुस्कुराते इंसान की कभी जेबे देखना
हो सकता है तुम्हें रुमाल किल्ली मिले
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बहुत भीड़ हुआ करती थी महफिल में मेरे फिर मैं सच बोलता गया और लोग उठते गए कौन था जिसे तू खुद आते ही अपना आईने पर सर रखा
और रोज यह चेहरा देखकर ही इंसान को पहचानने की कला भी मुझ में
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तकलीफ तो तब हुई जब इंसानों के पास चेहरे बातें खिलाफ कितने हैं यह मुद्दा नहीं साथ कितने हैं यह जरूरी है समझने वाले तो हम उसे भी समझ लेते हैं ना समझने वाले सच बातों का भी मजाक
बना देते हैं मकान इतनी बन गए हैं शहर में मेरे किस जमीन तो भरी पड़ी है लेकिन दिल खाली है फूल चाहे कितनी भी उचित हनी पर लग जाए
लेकिन खेलता तभी है जब मिट्टी से जुड़ा हो
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नाराजगी हूं तू कुछ देर चुप रह कर मिटा दिया करो गलतियों पर बात करने से
रिश्ते वाला जाया करते हैं जलते रहेंगे काफिले मेरे बगैर दिया एक तारा टूट जाने से फलक सोना नहीं होता उलझी हुई जिंदगी की बस
इतनी सी कहानी है कुछ पहले से ही स्वागत है कुछ वक्त की मेहरबानी है दहेज क्या है यह उस बाप से पूछो जिसके जमीन भी
गुलजार की शायरी जिंदगी
चली गई और बेटी भी शहर भर में मजदूर जैसे दरबदर कोई ना था जिसने सब का घर बनाया उसका कोई करना था उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी
स्नेहल की सेल लगी है मेरी मेथी अफवाह थी कि मेरी तबीयत खराब है
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लोगों ने पूछ पूछ कर बीमार कर दिया
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भीड़ सी हो गई थी उनके दल में फिर कुछ यूं हुआ कि हम उनके दिल से निकल आए
एक एहसास ही काफी है तेरे करीब होने का यो नज़दीकियां बढ़ाकर
ख्वाहिशों को हवा ना दे
गुजर जाते हैं खूबसूरत लमहे यूं ही मुसाफिरों की तरह और यादें वही खड़ी रह जाती हैं रुके हुए रास्तों की तरह न जाने कितने दर्द आबाद हो सके दिल में है जो अकेला बैठा हो
उसे तन्हा नहीं कहते वक्त बीत जाने के बाद अक्सर यह एहसास होता हैgulzar quotes
जो छूट गया वह लम्हा बेहतर था कितने खूबसूरत हुआ करते थे वह बचपन के दिन दो उंगलियां जुड़ते ही दोस्ती हो जाती थी वह करीब बहुत है
मगर दूरियों के साथ
हम दोनों जीतू रहे हैं मगर मजबूरियों के साथ
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ढूंढ रहे थे वह मुझे भूल जाने के रास्ते हैं मैंने खफा होकर सारी मुश्किलें आसान कर दे उसे पाने की चाहत खत्म सी हो गई
जब पता चला कि उसके दिल में है कोई और रहता है
सारी खुशियां मिलाकर देखी मैंने फिर भी तेरे जाने का गम सबसे ज्यादा निकला उसे गैरों से बात करते देखा तो
तकलीफ हुई फिर याद आया कि हम कौन से उसके अपने थे यूं तो कहने कोgulzar shayari on life
बड़े खुशमिजाज हैं हम लेकिन सुला देती है अपनों की प्यार की हसरत कभी कभी गैरों से पूछती है तरीका निषाद का अपनों की साजिश से परेशान जिंदगी है
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छोड़ दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना जिसे मोहब्बत की कदर ना हो उसे दुआओं में क्या मांगना
फरिश्ते ही होंगे जिनका मुकम्मल हुआ इश्क इंसानों को तो हमने बर्बाद होते देखा है
वह इतराते रह गई साला क्यों पर अपने को समझ ही नहीं पाई
उसने खोया क्या हैgulzar quotes
तेरे प्यार की हिफाजत कुछ इस तरह से किया हमने जब भी किसी ने प्यार से देखाgulzar shayari on life
तो नजरें झुका ली हमने काश कोई इस तरह से वाकिफ हूं मेरी जिंदगी से कि मैं बारिश में खड़ा रहूं
और वह मेरे आंसू पढ़ने तरस गए हैं तुम्हारे लोगों से कुछ सुनने को हम प्यार की बात ना सही शिकायत ही कर लो जिस दिन तुम्हारा सबसे करीबी साथी
पर गुस्सा करना छोड़ दे तो समझ जाना कि तुम उसे खो चुके हो
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नजरें पढ़ो हमारी और जानू रजा क्या है अब अगर हर बात लफ्ज़ों में होgulzar shayari on life
तो फिर मजा क्या है यहां सब खामोश है
कोई आवाज नहीं करता सच बोलकर कोई किसी को यहां नाराज नहीं करताgulzar quotes
कभी आंखों पर तो कभी स्तर पर बिठाए रखना जिंदगी ना गवार ही सही लेकिन दिल से लगाए रखना नजरों में वह दोस्तों की जो कितना खराब है कसूर उसका बस इतना है कि
वह कामयाब है कि सारे जमाने से हो गई अब दूरियां मेरी
एक्स एक्स से नजदीक या इतनी महंगी बड़ी मुझे तुम जिसे पढ़कर हीरो दी है हम उस दौर में भी
देखा है जिंदगी को कुछ इतने करीब से कि तमाम चेहरे लगने लगे हैं अब थोड़ा अजीब से
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए मुझे तुम्हारी जुदाई का कोई गम नहीं है क्योंकि ख्यालों की दुनिया में मेरे पास हो तुम
ताल दुकान रखा है ना कामयाब लोगों से शोहरत आते ही सारे रिश्ते जाग उठते हैंgulzar shayari on life
दुनिया धोखा देकर हकल मन हो गई और हम भरोसा करके गुनहगार हो गए तेरे ना होने से बस इतनी सी कमी रहती है मेला मुस्कुरा हूं मगर आंखों में
नमी सी रहती है मेरी कोशिश हमेशा ही नाकाम रहे तभी तुझे पाने के लिए
आज तुझे भुलाने के लिए खुद में झांकने का
जिगर होना चाहिए दूसरों की बुराई में तो हर शख्स माहिर है
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थोड़ा थक गया हूं अब दूर निकलना छोड़ दिया पर ऐसा नहीं है कि मैंने चलना छोड़ दिया
फासले अक्सर रिश्तो में दूरियां बढ़ा देते हैं ऐसा नहीं है कि मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया
हां जरा अकेलाgulzar quotes
इस दुनिया की भीड़ में अरे ऐसा नहीं है कि मैंने अपनापन छोड़ दियाgulzar shayari on life
याद करता हूं अपनों को पर वह भी अमन में याद करता हूं अपनों को और वह भी मन में बस कितना करता हूं यह जताना छोड़ दिया
थोड़ा थक गया हूं दूर निकलना छोड़ दिया पर ऐसा नहीं है कि मैंने अब चलना छोड़ दिया
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पूछती है खैरियत मेरी हर रोज वह ख्वाब में आकर महबूब की फिक्र भी मेरे कमाल की है बहुत मीठा नशा था उसकी यादों का वक्त गुजरता गया हम आदी होते गए
खामोशियां बोल देती हैgulzar quotes
जिनकी बातें नहीं होती इश्क वह भी करते हैं जिनकी मुलाकात नहीं होती वक्त निकल जाने के बाद
जो कद्र करें उसे कद्र ही नहीं अफसोस है तो है मुझे किस्मत से कोई शिकवा नहीं मगर वह किस्मत में आया है क्या जो मुकद्दर में नहीं था आज फिर से कोई दिल को बेहिसाब याद आ रहा है
आज फिर से नफरत की कोई वजह ढूंढ नहीं होगी
साजिशों के थोड़ा हम भी शिकार हो गए जितना दिल साफ रखा था उतनी ही गुनहगार हो गएgulzar shayari on life
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किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत सकती हैं किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से बड़ी हसरत से पकती हैं महीनों अब मुलाकात नहीं होती
गुलजार की शायरी जिंदगी
जो शाम है उनकी सोहबत में कटा करती थी अब अक्सर गुजर जाती है कंप्यूटर के पदों पर
बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है
बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है जो कदर है वह सुनाती थी कि जिनके चल कभी मरते नहीं थेgulzar shayari on life
जो रिश्ते वह सुनाती थी वह सारे उधड़े उधड़े हैं कोई सफा पलटता हूं ट्रिक्स इसकी निकलती है
कोई सभा पलट कॉमिक्स इसकी निकलती है कहीं लफ्ज़ों के माने गिर पड़े हैंgulzar quotes
बिना पत्तों के सूखे 2ण्ड लगते हैं वह सब अल्फ़ाज़ जिन पर अब कोई मानी नहीं होते
जवाब पर सहायक आता से जोसेफा पलटने का यह जवाब पलटने से बस एक झपकी गुजरती है बहुत कुछ तय होता है खुलता चला जाता है पर्दे पर
किताबों से जो साथी रास्ता था वह कट गया है किताबों से जो जाती रहता था कट गया है कभी सीने पर रख कर लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रेल की सूरत बना कर नीम सजदे में पढ़ा करते थे छूते थे कि अभी से
ओसारा इल्म तो मिलता रहेगा इंदा भी मगर वह जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और मैं के हुए रुपए
सारा इल्म तो मिलता रहेगा इंदा भी मगर वह जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल महके हुए रुके किताबें मांगने गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे उनका क्या होगा कुछ आया नहीं
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जाने किस राह चल रहा है यह दिल जिसे पाया ही नहीं उसे खोने से डरता हैgulzar quotes
यूं ही नहीं टूटा है भरोसा हमारा हमने देखा है उन्हें गैरों से दिल लगाते हुए छुपा लिया
अभी तो दर्द है दिखा देते तो तमाशा होता
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ पर उतारकर
गुलजार की शायरी जिंदगी
जीत भी लेता हूं और आवाज भी नहीं होते यादों का क्या है एक दिन भूल ही जाता है फिक्र तो हमें
तुम्हारे लिए दर्द की होती है
दवा का शौक रखता हूं बीमार थोड़ी हो तुम चाहते हो कि रोज मिलो अखबार थोड़ी हूंgulzar shayari on life
इश्क थोड़ा संभलकर करना साहब गमों को सहने का आधार
हर किसी के पास नहीं होता जब वक्त था तब तुम नहीं थे आज तुम हो मगर वक्त नहीं है
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बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है मौत से आंखें मिलाने की जरूरत क्या है सबको मालूम है बाहर की हवा है कातिल
यूंही कातिल सिविल हंसने की जरूरत क्या है जिंदगी एक नेमत है उसे संभाल के रखो कमरे गांवों को सजाने की जरूरत क्या है दिल
बहलाने के लिए घर में वजह है काफी दिल बहलाने के लिए घर में वजह है काफी यूं ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है
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बहुत खास है तुम इसलिए लड़ते रहे तुमसे अगर पराई होते तो मुस्कुरा कर जाने देते हैं जख्म वही है जिसे छुपा दिया जाए जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते हैं
डर यह है कि कहीं खो ना दूं उसे सच यह है कि उसे कभी पाया ही नहीं चाहने वाले को ही नहीं मिलते चाहने वाले मैंने हर दगाबाज के साथ यहां सनम दे
पैसा बोलती है आंख है और वह है कि चंद लफ्जों के लिए रूट है रहते हैं जिंदगी तो अपने कदमों पर ही अच्छे लगते हैं दूसरों के सहारे तो जनाजे उठा करते हैं सारे गमों को मेरे हिस्से में डालकर वह कह गए कि खुश रहना
सारी उम्र गुजार दी तन्हाईयों में हमने जरा सी सांसें क्या टूटी मेला लग गया
हकीकत तो कुछ और ही होती है जनाब हर गुमसुम बैठा हुआ इंसान
अगर नहीं होता मैं मुसाफिर हूं
तेरी कश्ती का ए जिंदगी तू जहां कहेगी मैं वहीं उतर जाऊंगा अपने जज्बातों को
वही जाहिर करना जहां उनकी कद्र हो वरना लोगों को तो आंखों से बहता वह आंसू भी पानी नजर आता है
गुलजार की शायरी जिंदगी
पूछा हाल जब शहर का तो वह सर झुका कर बोले लोग तो जिंदा है मगर जमीर का पता नहीं तेरी है यादों से शुरू होती है मेरी सुबह
फिर कैसे कह दूं मैं कि मेरा दिन बेकार जाता है जिंदगी की भी अजब सी परिभाषा है सवर गई तो जन्नत
वरना सिर्फ तमाशा है
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क्या पानी पर लिखी थी मेरी तकदीर तूने मालिक की हर हां बह जाता है
मेरे रंग भरने से पहले सबरी इतना रखो कि इश्क बेहूदा ना लगे खुदा महबूब बन जाए पर महबूब खुदा ना बने इतनी शिद्दत से निभाओ जिंदगी में अपना किरदार
कि परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहे बहुत डर लगता है मुझे उन लोगों से जो जुबान में मिठास और दिल में जहर रखते हैं
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तुम्हें क्या मालूम किस दर्द में हूं मैं चुप भी लिया ही नहीं उस कर्ज में हूं मैं बर्बाद करने के और भी कई तरीके थे
तुमने तो जिंदगी में आकर जिंदगी बनकर जिंदगी से जिंदगी ही ले ली खुद से खुद तक जाना है मुझे खुद ही खुद को पाने के लिए
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दरवाजा छोटा ही रहने दो
अपने मकान का साहब जो झुके आ गया समझ लो वही अपना है
अगर जख्म है तो छुपा लो उनको सुना है लोग प्यार से दवा कहकर नामक बात लगा गलतफहमी के किस्से इस कदर दिलचस्प में है शहर में
कि हर ईट सोचती है दीवार मुझ पर टिकी है जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानिधि अब तुम ही पर तमाशा कैसा और राह पर
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बहस कैसी चैन से रहने का हमको यूं मशवरा ना दीजिए मजा आने लगा है अब जिंदगी की मुश्किलों में भी किसी ने धूल क्या झोंकी आंखों में
कमबख्त पहले से बेहतर दिखने लगा है राम साहू के कुछ लोगों को हम कुछ लोगों को यह बात भी रात में आए
बुरा तो सपने बताया मैं लेकिन ज्यादा नहीं वह एक शख्स लाओ जिसका बुरा किया हूं मैंने
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उसको फुर्सत ही नहीं दुनिया से वह एक शख्स जिसे मैं अपनी दुनिया समझता हूं बातें हजार हैं
जेहन में मेरे परिचित से कर सकूं कोई ऐसा शख्स नहीं एक महबूब लापरवाह सा
एक मोहब्बत बेपनाह से दोनों काफी है सुकून बर्बाद करने के लिए हालात सिखा देती है
बातें सुनना और सहना वरना हर शख्स अपने आप में बादशाह होता है सभी के नाम पर नहीं रुकती धड़कन है दिलों की भी कुछ उसूल होते हैं
यूं ना झा को इस कदर मेरे रूम के अंदर ख्वाहिश है मेरी मां
पहली बार रहते हैं फिर 1 दिन हसरतों से हारकर मैंने अब हकीकत से दोस्ती कर लेgulzar shayari,
फालतू सपने छोड़ा ऐसे रहे मंदिर में मगर है गरीबी तू इतनी वफादार कैसे निकले
सुकून ए दिल के लिए कभी हमारा भी हाल पूछ लिया करो मालूम तो हमें भी है
क्या हम आपको अच्छे नहीं लगते
गुलजार की शायरी जिंदगी
कौन कैसा है यही फिकर रहे तमाम उम्र हमको और हम कैसे हैं यह कभी भूल कर भी नहीं सोचा दरवाजे के नीचे से शर्म आती है दुनिया भर की खबरें न जाने एक तेरा हाल है जानना
इतना मुश्किल क्यों आया है
बिछड़ते वक़्त
मेरे सारे ऐप कि नहीं थे उसने सोचता हूं जब मिला था उससे कौन सा हुनर था मुझमें
खुल तो सकती है घाट है जरा सी जतन से मगर लोग अच्छा चला कर सारा फ़साना बदल देते हैंgulzar shayari,
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शिकायतों की पाई पाई जोड़ कर रखी थी मैंने लेकिन उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया अजीब सी बेताबी है तेरे बिन रह
भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता यूं तो बहुत से रास्ते हैं मुझ तक पहुंचने के लेकिन राहे मोहब्बत से आओगे तो फासला कम पड़ेगा जब खुद से दोस्ती हुई तो
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पता चला मुझे मुझसे बेहतर मुझे और कोई नहीं जानता बहुत गुमान था वह को आजादी पर अपने लेकिन किसी ने उसे को बारे में भरा और भेज दिया हमने तो कांटों को भी नमी से छुआ है अक्सर
लोग बेदर्द है फूलों को भी मसल देते हैं
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तेरी मजबूरियां भी होंगे चलो मान लेते हैं मगर तेरा वादा भी था
मुझे याद रखने का लिख कर लाया था कोरे कागज पर परेशानियां
लेकिन दोस्तों ने उसे पतंग बनाकर उड़ाना दिखा दिया
अगर फुर्सत नहीं याद करना हो तुम मत करना दोस्त
गुलजार की शायरी जिंदगी
हम अकेले जरूर हैं लेकिन फिर भी नहीं मिले तो हजारो लोग थे जिंदगी में वह सबसे अलग था जो किस्मत में है ना था जिंदगी में
थोड़ा अजीब सी हो गई है अब खुश देखना खुश रहने से ज्यादा जरूरी हो गया है ऊपर वाले
मेरी तकदीर संभाले रखना जमीन के तो सारे हो अदाओं से उलझ बैठा हूं मैं
मैं तो खुद से भी अजनबी हूं मुझे कहर कहने वाले तेरी बात में दम हैgulzar shayari,
वह मन बना चुके थे हमसे दूर जाने का और हमें लगा कि हमें मनाना नहीं आता
न जाने कितने पड़ी है मेरे हक में दुआ आज तबीयत में थोड़ा आराम सा है
तुझे लिखते वक्त महसूस होता है अक्सर मुझे खुद से बिछड़े एक जमाना हो गयाgulzar shayari,
गुलजार की शायरी जिंदगी
खामोशियां बहुत कुछ कहती है कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो बहुत देर कर दी तुमने मेरे दिल की धड़कन महसूस करने में वो दिल नीलाम हो गया जिस पर कभी हुकूमत मारी थी
अगर मोहब्बत किसी सेबेहिसाब हो जाए तो समझ जाना कि
वो किस्मत में नहीं है बनाकर उसने
मेरे संग्रहीत के महल न जाने क्यों उसने बारिश हमको खबर करती है
मौत से पहले भी एक मौत होती है जरा देखो कभी तूने किसी से जुदा होकर
मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन तो है पर्वतपुर कर जाना
बस एक बार होता है जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज होता है मुद्दतों बाद आज फिर परेशान हुआ यह दिल न जाने किस हाल में होगा वह मुझसे रूठने
वाला साथ छोड़ने वालों को तो बस एक बहाना चाहिए वरना साथ निभाने वाले तो आखरी सांस तक साथ निभाते हैं
मुझसे मोहब्बत पर मशवरा हम आते हैं दो तेरा इश्क इस तरह तजुर्बा दे गया मुझे खुशियां तो रूठ कर चुकी हैं हमसे काश जिंदगी को भी अब किसी की नजर लग जाए
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कुछ इस अदा से तोड़े ताल्लुक उसने एक मुद्दत से ढूंढ रहा हूं मैं कसूर रखना
अच्छे ने अच्छा बुरे ने बुरा जाना मुझे
जिसकी जितनी जरूरत है उसने उतना पहचाना मुझे अभी से क्यों छलक पड़े तुम्हारे आंखों से आंसू अभी छेड़ी है कहां है दास्तान ए जिंदगी मैंने बारिश से ज्यादा
गुलजार की शायरी जिंदगी
काशी हीरा यादों में हम अक्सर बंद कमरों में भीग जाया करते हैं ठुकराया था हमने बहुतों को तेरे खातिर अब तुझसे फासला देश आया उनके पद दुआओं का असर है
दिल से निकली ही नहीं वह शाम जुदाई कि तुम तो कहते थे कि बुरा वक्त गुजर जाता है किसी रोज हम उदास होते हैं और शाम गुजर जाती है किसी रोज शाम उदास होगी और हम गुजर जाएंगे
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एक उम्र गुजार दी गमों के कारोबार में हमने खुदा ही जाने
कि सुकून मिलता कहां है
पानी की एक बूंद तक ना निकले तमाम उम्र जिन आंखों को हम झील कहते रहेshayari gulzar
याद तो उन्हें भी आएंगे बलम है कि कोई तो था
जब कोई नहीं था कुछ बातों के मतलब है कुछ मतलब की बातें हैं
गुलजार की शायरी जिंदगी
जबसे फर्क समझा जिंदगी आसान हो गई मजाक तो वह होती है
जिससे किसी को बुरा ना लगे किसी का दिल दुखा देना मजाक नहीं होता फर्क था हम दोनों की मोहब्बत में है
मुझे सिर्फ उससे ही थी और उसे मुझसे भी थी उन्हें कभी बहुत फिक्र थी हमारी
जो आजकल हमारा हाल तक नहीं पूछते
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खबर सबको थी मेरे कच्चे मकान के फिर भी लोगों ने दुआओं में बस पर साथ ही मां की
हो ना जाए पहचान तेरे कहीं इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिएshayari gulzar
किस उम्र से पढ़ा जाए और किस उम्र में कमाया जाए यह शौक नहीं
उम्र तय करती है सेहमी हुई सी है झोपड़ी बारिश के हादसे और महलों की आरजू है कि बरसात भेजो मेरे शहर में खुदा उनकी कमी नहीं
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लेकिन दिक्कत मुझे इंसान ढूंढने बहुत है एहसान दोनों का था उस मकान पर मगर छत नहीं जाता दिया और न ही उन्हें छुपा लिया
अजनबी बने रहना ही ठीक है इस दुनिया में बहुत तकलीफ देते हैं लोग अक्सर यहां अपना बना कर
अजीब सी दुनिया है यह साहब यहां लोग मिलते हैं कम एक दूसरे में छाती ज्यादा हैshayari gulzar
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एक आरजू है कि कोई हमसे भी हमारा हाल मुझे एक मुद्दत हुई किसी को हमारी फिक्र किए हुए मेथी का शौक
हम इसलिए रखते हैं क्योंकि जिंदगी की हकीकत कड़वी बहुत है
सफारी जिंदगी में जब भी कोई मुश्किल मक़ाम आया धोखा गैरों ने तवज्जो दी
नापना कोई काम आया भरोसा टूटने की यूं तो कोई आवाज नहीं होते मगर को मुझे इसकी जिंदगी भर सुनाई देती है किसी को रखो
कि जमीन बेचकर भी चैन नहीं है और कोई गुब्बारे बेचकर ही सो गया सुकून से गलतफहमी हो से हो गया वो रिश्ता
वरना कुछ बातें अगले जन्म के भी थे
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कहां तलाश करोगे तुम मेरे जैसे शख्स को जो तुमसे खफा होने के बाद भी
सिर्फ तुमसे ही मोहब्बत करता है
वक्त की बात है वक्त पर छोड़ देते हैं वक्त ने मिलाया था चल वक्त पर ही इल्जाम देते हैं बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी सलीका चाहिए आवारगी में खुद ही खुद से आंख बचाता खुद ही खुद की मौज में हूं मैं
गुलजार की शायरी जिंदगी
मैं समंदर में ही खतरा और खुद ही हर एक मौज में हूं मैं
चलो कहीं दूर चलते हैं मुझसे भी तुमसे भी हर चीज की कीमत समय आने पर ही होती हैshayari gulzar
मुफ्त में मिलने वाला यह ऑक्सीजन अस्पतालों में काफी महंगा बिकता है छोटा सा फसाना किसे क्या बताना कई बार ऐसा भी
होता है बताने वाला बता नहीं पाता सुनने वाला समझ नहीं पाता और इसी को कहा जाता अधूरा रहता है रे या रे
gulzar shayari,इश्क़ नहीं अब इबादत करेंगे
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ना पाने की इच्छा न खोने का गम इश्क नहीं अब इबादत करेंगे हम
किसी ने मुझे वक्त दिया था मैंने आज तक उसे संभाल कर रखा है तजुर्बे उम्र से नहीं बल्कि हालातों से होते हैं मैं कुछ खास तो नहीं
गुलजार की शायरी जिंदगी
पर मेरे जैसे लोग बहुत कम है चाहो तो तुम भी हाल पूछ सकते हो
हमारा कुछ हक दिए नहीं लिए जाते हैं समेट लो इन नाजुक पलों को ना जाने यह कल हो ना हो
वो भी यह लमहे क्या मालूम उन पलों में शामिल हम हो ना हो तन जलाकर रोटियां पकाती है मां नादान बच्चे अचार पर रूठ जाते हैं
चिराग कैसे अपनी मजबूरियां बयां करें हवा जरूरी भी है और डर भी उसी से है एक बात समझ में नहीं आई उसके सारे गम मैंने
गुलजार की शायरी जिंदगी
अपने माने मेरी खुशी से पहले मैंने उसकी खुशी चाहिए लेकिन फिर भी मेरी मर्जी
जिंदगी तुम्हे वो नहीं देगी
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आंखों में आंसू दिल में जलन रहती है जब वह तस्वीर में किसी के संग रहती हैshayari gulzar
अब रिहा कर दो अपने खयालों से मुझे लोग सवाल करने लगे हैं
कि कहां रहते हो आजकल कभी पड़ोसी भी घर का हिस्सा हुआ करते थे आज एक ही घर में ना जाने कितने पड़ोसी है
गुलजार की शायरी जिंदगी
छक्के बिकते थे जो अखबार सुना है इन दिनों वह बीके छपा करते हैं
जिंदगी तुम्हें वह नहीं देगी जो तुम्हें चाहिए जिंदगी तुम्हें वह देखी इसके काबिल तुम हो एक ही चेहरे की अहमियत हर एक नजर में अलग सी क्यों है उसी चेहरे पर कोई खफा तो कोई फिदा सा क्यों है
मकान बन जाते हैं अब तुम्हें यह पैसा कुछ ऐसा है घर टूट जाते हैं पल्लू में यह पैसा कुछ ऐसा है
लिखा था राशि में आज खजाना मिलेगा गुजरे एक गली से तो दोस्त पुराना मिल गयाshayari gulzar
rishte quotes,दिल टूटा है मगर शोर नहीं किया shayari
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कुछ नहीं चलेगा तेरा मेरा रिश्ता उम्र भर मिल गए तो बातें लंबी ना मिली
तो याद ही नहीं बदला नहीं हूं मैं मेरी भी कुछ कहानी है बुरा बन गया है अपनों की मेहरबानी है
उसने बहुत चाय से शुरू कीshayari gulzar
राम ने कभी खत्म ना होने दी जला हुआ जंगल चुप कर रोता है
लकड़ी उसी की थी उस बातचीत की तीली में अपने किए पर अगर
को रुलाने ना तो किसी मिट्टी से पूछ लेना कि सिकंदर कहां है दरवाजा छोटा ही रहने दो
अपने मकान का जो झुक गया गया समझो वही अपना है वक्त बहुत जालिम होता है साहब तजुर्बा देकर मासूमियत छीन लेता है
पेड़ शर्ते नहीं माने इसलिए कट गए गमलों नेहा देते की तो आसरा
मिला खामोशी की तह में छुपा लो सारी मुश्किलें शोर कभी
मुश्किलों को आसान नहीं करता हजारों चेहरों में एक तुम दिल को अच्छे लगे वरना ना चाहत की कमी थी ना चाहने वालों की
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