Desh Bhakti Shayari
2020|Watan Se Mohabbat – Desh Bhakti Shayari
ना दौलत दे ना शोहरत दे कोई शिकवा नहीं बस भारत मां की संतान बना देना दौलत दे ना शोहरत दे कोई शिकवा नहीं बस
भारत मां की संतान बना देना हो जाओ शहीद में जब वतन के वास्ते तो बस तिरंगे में मुझे लिपटा देना तिरंगे में मुझे लिपटा देना
धरती हरी भरी हो और आकाश मुस्कुराए धरती हरी भरी हो और आकाश मुस्कुराए करके ऐसा कुछ दिखाओ इतिहास जगमगाए इतिहास जगमगाए
वक्त आ गया है अब दुनिया से साफ साफ कहना होगा
वक्त आ गया है अब दुनिया से साफ-साफ कहना होगा देश प्रेम की प्रबल धार में हरमन को बहना होगा,Desh Bhakti Shayari
जिसे तिरंगा लगे पराया मेरा देश छोड़ जाए जिसे तिरंगा लगे पराया मेरा देश छोड़ जाए हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी बनकर ही रहना होगा हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी बनकर ही रहना होगा
नाजियों धर्म के नाम पर ना मारो धर्म के नाम पर नाजियों धर्म के नाम पर ना मरो धर्म के नाम पर इंसानियत ही है धर्म वतन का
इंसानियत ही है धर्म वतन का बस्तियों वतन के नाम पर बस्तियों वतन के नाम पर,Desh Bhakti Shayari
चिंगारी आजादी की सुर्खी मेरे जश्न में है इंकलाब की ज्वाला में लिपटी मेरे बदन में है चिंगारी आजादी की सुर्खी मेरे जश्न में है इंकलाब की ज्वाला है लिपटी मेरे बदन में है मौज जहां जन्नत हो
यह बात मेरे वतन में है मौज जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है जिंदा मेरे कफन में है
2020|Watan Se Mohabbat – Desh Bhakti
वतन पर जो फिदा होगा अमर वो हर नौजवान होगा वतन पर जो फिदा होगा अमर वह हर नौजवान होगा रहेगी जब तक दुनिया यह अफसाना उसका गया होगा अफसाना उसका बयां होगा काले गोरे
का भेद नहीं इस दिल से हमारा नाता है काले गोरे का भेद नहीं इस दिल से हमारा नाता है कुछ और ना आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है हमें प्यार निभाना आता है,Desh Bhakti Shayari
ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई मगर वतन से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता कोई सनम नहीं होता ज़माने भर में मिलते हैं
आशिक कई मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता नोटों में लिपट कर और सोने में सिमटकर मरे हैं कई नोटों में लिपट कर
सोने में सिमटकर मरे हैं कई मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता,Desh Bhakti Shayari
Desh Bhakti Shayari – देश भक्ति शायरी
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलसिता हमारा यह गुलसिता हमारा
इसी जगह से इसी दिन हुआ था यह ऐलान इसी जगह किसी दिन तो हुआ था यह ऐलान अंधेरा हार गया जिंदाबाद हिंदुस्तान
जिंदाबाद हिंदुस्तान वतन की खाक से मर कर भी हमको उनसे बाकी है वतन की खास से मर कर भी हमको उनसे बाकी है मजा
आता माने मां दुर्गा इस मिट्टी के दामन में इस मिट्टी के दामन वतन की खास जरा एड़ियां रगड़ने से वतन की खाल जरा एड़ियां रगड़ने से मुझे यकीन है पानी यहीं से निकलेगा
दिलों में हो बे वचन है अगर तो एक रहो दिलों में हम वतन है अगर तो एक रहो निखार ना यह चमन है अगर तो एक रहो निखार ना
यह चमन है अगर तो एक रहो यह कह रही है इशारों में गर्दिश ए गर्दन यह कह रही है इशारों में गर्दिश ए कर दूंगी,Desh Bhakti Shayari
जल्द हम कोई सख्त इंकलाब देखेंगे कि जल्द हम कोई शख्स इंकलाब देखेंगे उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं
सकता जिस मुल्क की सरहद की निगहबान है आंखें निगहबान है आंखें वतन के जानिसार हे वतन के काम आएंगे वतन के
जानिसार हैं वतन के काम आएंगे हम इस जमीन को एक रोज आसमा बनाएंगे आसमा बनाएंगे,Desh Bhakti Shayari
हम भी तेरे बेटे हैं जरा देश हमें भी हम भी तेरे बेटे हैं जरा देख हमें भी खा कर वतन तुझ से शिकायत नहीं करते हैं खाके वतन तुझ से शिकायत नहीं करते